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Showing posts from September, 2020

Full information about UPSC exam (यूपीएससी परीक्षा की विस्तृत जानकारी) UPSC exam pattern.

 संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी), जो भारत का एक संवैधानिक निकाय है, भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) और भारतीय पुलिस सेवा (IPS) जैसी अखिल भारतीय सेवाओं तथा भारतीय विदेश सेवा (IFS), भारतीय राजस्व सेवा (IRS), भारतीय रेलवे यातायात सेवा (IRTS) एवं भारतीय कंपनी कानून सेवा (ICLS) आदि जैसी प्रतिष्ठित सेवाओं हेतु अभ्यर्थियों का चयन करने के लिये प्रत्येक वर्ष सिविल सेवा परीक्षा आयोजित करता है। प्रत्येक वर्ष लाखों अभ्यर्थी अपना भाग्य आज़माने के लिये इस परीक्षा में बैठते हैं। तथापि, उनमें से चंद अभ्यर्थियों को ही  इन प्रतिष्ठित पदों तक पहुँचने का सौभाग्य प्राप्त होता है।  सिविल सेवा परीक्षा’ मुख्यत: तीन चरणों  में सम्पन्न की जाती है- प्रारंभिक(Prelims)  मुख्य (Mains)  साक्षात्कार(Interview) प्रारंभिक परीक्षा:  प्रथम चरण प्रारंभिक परीक्षा कहलाता है। इसकी प्रकृति पूरी तरह वस्तुनिष्ठ (बहुविकल्पीय) होती है, जिसके अंतर्गत प्रत्येक प्रश्न के लिये दिये गए चार संभावित विकल्पों (a, b, c और d) में से एक सही विकल्प का चयन करना होता है।  सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा 200 अंकों की होती है।  प्रारंभिक परीक्षा में दो प्र

CSAT Preparation for upsc/pcs (in Hindi) | Reasoning trick.

  CSAT means civil services aptitude test. it is very important for aspirants who preparing for IAS/ PCS CSAT paper is qualifying in its nature.but very Imp because without qualifying this your all no. of GS will be waste. इस वीडियो में आप सीखोगे य वाले सवाल करना बहुत ही आसान विधि से   Q.  यदि 10 दोस्तों ने एक दूसरे से हाथ मिलाया तो कुल कितने बार हाथ  मिलेंगे?   Q.  Q.  8 मित्र एक पार्टी में मिलते हैं सभी सबसे एक बार हाथ मिलाते हैं संभावित हाथ मिलाने की संख्या है (uppcs csat 2018) A) 64.          B) 56.         C)28.       D).20

भारत में अंग्रेजों की भू राजस्व व्यवस्था (British Land revenue system in India)

 भारत में अंग्रेजों की भू राजस्व व्यवस्था (British Land revenue system in India    -स्थाई  भू राजस्व व्यवस्था  (इस्तमरारी बंदोबस्त) ( permanent land revenue system) - रैयतवाड़ी व्यवस्था (Ryotwari system) -महालवाड़ी व्यवस्था(Mahalwari system)  स्थाई  भू राजस्व व्यवस्था  (इस्तमरारी बंदोबस्त) ( permanent land revenue system) 1793  लॉर्ड कॉर्नवालिस ने भू राजस्व वसूली की स्थाई व्यवस्था लागू की। आरंभ में यह व्यवस्था 10 वर्ष के लिए लागू की गई थी किंतु 1793 से इसे स्थाई बंदोबस्त में परिवर्तित कर दिया गया।  ब्रिटिश भारत के 19% भाग  पर यह व्यवस्था थी। बंगाल बिहार उड़ीसा उत्तर प्रदेश के वाराणसी और कर्नाटक के उत्तरी क्षेत्र में लागू थी।  इस व्यवस्था में जमींदारों को  भूस्वामी के रूप में मान्यता दी गई। इसके अंतर्गत वे वसूली का कुछ प्रतिशत भाग अपने पास रखकर शेष राशि को कंपनी को जमा करा देते थे।  इस व्यवस्था के अंतर्गत  यह प्रावधान किया गया कि जमीदार की मृत्यु के उपरांत उसकी भूमि उसके उत्तराधिकारीओं में चल संपत्ति की भांति विभाजित होगी कॉर्नवालिस  ने 1794 ईस्वी में एक सूर्यास्त कानून बनाया इसके तहत 

11th class Economics NCERT chapter 1 summary in Hindi

 Class-11th Economics (NCERT)                                                                      Ch- 1  1     'स्वतंत्रता की पूर्व संध्या पर भारतीय अर्थव्यवस्था'                   ' भारत का आर्थिक विकास' इस पुस्तक का मूल उद्देश्य भारतीय अर्थव्यवस्था की मूलभूत विशेषताओं की जानकारी देना और स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से हुए विकास  से अवगत कराना है।  स्वतंत्रता के बाद की विकास की उपलब्धियों को  सही रूप में समझ पाने के लिए स्वतंत्रता पूर्व की अर्थव्यवस्था की सही जानकारी  की आवश्यकता है।  औपनिवेशिक शासन से पूर्व अपनी स्वतंत्र अर्थव्यवस्था थी  आय का मुख्य स्त्रोत कृषि था फिर भी अर्थव्यवस्था में विभिन्न प्रकार  की विनिर्माण गतिविधियां हो रही थी  सूती और रेशमी वस्त्र धातु आधारित तथा बहुमूल्य मणिरत्न आदि से जुड़ी शिल्प कलाओ के उत्कृष्ट केंद्र के रूप में भारत विश्व भर में सुविख्यात हो चुका था  भारत में बनी इन चीजों की विश्व के बाजारों में अच्छी सामग्री के प्रयोग तथा उच्च स्तर की कलात्मकता के आधार पर बड़ी प्रतिष्ठा थी।  औपनिवेशिक शासन की नीतियों से भारत की अर्थव्यवस्था का अधपतन श